कुछ न सोच पहल कर

  • मिलना बिछड़ना ये मुकद्दर की बात है ये कहते हुए सुना है बहुत लेकिन मुक्कदर भी तो हम इंसान ही लिखते है फिर क्यों छोड़ देते है इसे ऐसे ही उन पर|

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